कोरोना की जंग स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ प्रशासन व पुलिस भी लड़ रही है। बीते छह दिनों में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में एक हजार की वृद्धि हुई है, ऐसे में मौजूदा डॉक्टर व पैरा मेडिकल स्टाफ के कम पड़ने की आशंका होने लगी है। अब कोरोना के खिलाफ छिड़े जंग में सेना के रिटायर्ड जवानों को उतारने की तैयारी हो चुकी है।
सैनिक कल्याण निदेशालय ने जिला सैनिक कल्याण पदाधिकारी भागलपुर, कर्नल केएन प्रसाद को पत्र लिखकर उनके कार्यक्षेत्र में रहने वाले सेना में सेवा दे चुके डॉक्टर व पैरा मेडिकल स्टाफ की सूची मांगी है। पत्र के माध्यम से कोरोना संक्रमण की रोकथाम में स्वैच्छिक सहयोग प्रदान करने के लिए रिटायर्ड चिकित्साकर्मियों की पहचान का निर्देश दिया गया है। इसके लिए जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से सेवानिवृत्त चिकित्सकों, एएनएम, जीएनएम, पैरा मेडिकल स्टाफ से कोरोना के खिलाफ जंग में स्वैच्छिक सेवा प्रदान करने का अनुरोध करने को कहा गया है।
अबतक 50 सेना के पूर्व डॉक्टर व पैरा मेडिकल स्टॉफ हो चुके हैं चिह्नित
कर्नल केएन प्रसाद ने बताया कि भागलपुर, बांका, कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज समेत नौ जिलों में रहने वाले अबतक सेना के मेडिकल कोर से रिटायर्ड करीब 50 डॉक्टर व अन्य पैरा मेडिकल स्टॉफ को चिह्नित किया जा चुका है। इनमें डॉक्टर, माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट, सोनोलॉजिस्ट, एंबुलेंस एंड नर्सिंग असिस्टेंट शामिल हैं। सूची बनाकर इसे दो से तीन दिन में सैनिक कल्याण निदेशालय पटना को भेज दिया जायेगा।
कोरोना के खिलाफ जंग में जिले के डॉक्टर-पैरा मेडिकल स्टाफ खींच रहे पैर
मायागंज अस्पताल के कोरोना एमसीएच आइसोलेशन वार्ड में तैनात करीब आधा दर्जन डॉक्टर अबतक ड्यूटी से गायब हो चुके हैं और एक दर्जन डॉक्टरों ने पीपीई किट एवं एन 95 मॉस्क के नाम पर ड्यूटी को नो बोल चुके हैं। शुक्रवार को सीएस भी कोरोना की जंग में लगाये गये लोगों के अहसयोग रवैये पर असंतोष जाहिर करते हुए कार्रवाई का आदेश दे चुके हैं।
हमारे पास संसाधन की कमी नहीं है, बल्कि कुछ डॉक्टरों में अनुशासन, समर्पण एवं प्रतिबद्धता की कमी है। सेना में काम कर चुके लोगों में मर-मिटने का जज्बा होता है। ऐसे में सेना से रिटायर्ड डॉक्टर व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ हमें मिलेंगे तो काम में सहूलियत होगी। – डॉ. आरसी मंडल, अधीक्षक जेएलएनएमसीएच INPUT- HINDUSTAN