©अनूप नारायण सिंह
चिकित्सक का काम होता है अपने इलाज से दूसरों की जिंदगी बचाना, लेकिन ये डॉक्टर थोड़े हट कर हैं। ये अपने मरीजों की जिंदगी ही नहीं बचाते, बल्कि आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान लोगों के बीच मुफ्त में टिफिन भी बांटते हैं, ताकि कोई भूख के कारण बीमार ना पड़े। मुंबई (Mumbai, Maharashtra) में रहने वाले 49 साल के डॉक्टर उदय मोदी (Dr. Uday Modi) करीब दस सालों से भूखे लोगों का हर रोज पेट भरते हैं। हर दिन करीब दो सौ लोगों का पेट भरने वाले डॉक्टर उदय मोदी अब ऐसे बुजुर्गों के लिये घर बनाना चाहते हैं, जिनको उनके अपनों ने छोड़ दिया है। डॉक्टर उदय मोदी बीमार लोगों के इलाज और बेसहारा लोगों को खाने के अलावा एक्टिंग का भी शौक रखते हैं और उससे जो भी आमदनी होती है, उसे वो भूखों तक खाना पहुंचाने में लगा देते हैं।
मुंबई के भयंदर इलाके (Bhayander area of Mumbai) में रहने वाले डॉक्टर उदय मोदी (Dr. Uday Modi) पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर (Ayurvedic Doctor) हैं। पिछले 18 सालों से आयुर्वेद के साथ-साथ एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर से वो मरीजों का इलाज करते हैं। डॉक्टरी पेशे के साथ 2007 से वो भयंदर इलाके के करीब 20 किलोमीटर के दायरे में बुर्जुगों के लिए मुफ्त टिफिन सेवा (free tiffin service) चला रहे हैं। इस टिफिन सेवा के जरिये वो आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर बुर्जुगों की मदद करते हैं। डॉक्टर उदय मोदी ने अपनी इस सेवा को नाम दिया है ‘श्रवण टिफिन सेवा’ (Sharavan Tiffin Seva)।इस सेवा को शुरू करने का आइडिया उनको अपने क्लिनिक में आये एक बुजुर्ग मरीज की खराब माली हालत को देखकर आया। जिनके बच्चे ने उस बुजुर्ग को उम्र के उस पड़ाव में छोड़ दिया था जब उनको अपने बेटे की सबसे ज्यादा जरूरत थी। ये बुजुर्ग आस्टीओआर्थ्राइटस (Osteoarthritis) नाम की एक बीमारी से पीड़ित था और उसकी पत्नी को भी लकवा (paralysis) हो गया था। उन बुजुर्ग दंपत्ति की हालत ऐसी थी कि वो अपना इलाज तो दूर खाने का भी इंतजाम नहीं कर सकते थे। तब डॉक्टर मोदी ने उस बुजुर्ग दंपत्ति ने इलाज के साथ खाने का इंतजाम किया।
घर आने पर उन्होने अपनी पत्नी कल्पना से इस बारे में बात की। तो उनकी पत्नी ने कहा कि ये केवल एक बुजुर्ग दंपत्ती की समस्या नहीं होगी, बल्कि मुंबई (Mumbai, Maharashtra) में ऐसे और भी लोग होंगे। तब डॉक्टर मोदी ने अपनी पत्नी की बात सुनकर ऐसे लोगों तक ये सुविधा पहुंचाने के लिए पम्पलेट और बैनर लगवाये और उनको मंदिरों के बाहर लगवाया। इस तरह पहले ही हफ्ते 10-12 लोगों ने उनसे संपर्क किया। आज वो 200 बुजुर्गों तक अपनी टिफिन सेवा पहुंचा रहे हैं। इनमें से भी 29 ऐसे बुजुर्ग हैं जो अपने हाथ से खाना भी नहीं खा सकते या जिनकी उम्र 70 से 90 साल के बीच है। ऐसे लोगों को डॉक्टर मोदी और उनसे जुड़े वालंटियर अपने हाथों से रोजाना खाना खिलाते हैं। किसी भी बुजुर्ग के लिये टिफिन सेवा शुरू करने से पहले डॉक्टर मोदी उनके घर जाते हैं और उनकी बीमारी, दवाई और दूसरी चीजों के बारे में पता करते हैं। इसके बाद उसी हिसाब से उनके लिये खाना तैयार किया जाता है।
श्रवण टिफिन सेवा’ (Sharavan Tiffin Seva) में बुजुर्गों के सुबह का खाना दिया जाता है। इसमें 6 रोटी, दाल, सब्जी और चावल शामिल होता है। जबकि रविवार को इस खाने के साथ कुछ मीठी और नमकीन चीजें भी अलग से दी जाती हैं। इस काम के लिए डॉक्टर मोदी ने 2 टैम्पों और 4 डिलीवरी बॉय रखे हैं जो घरों तक खाना पहुंचाने का काम करते हैं। खाने के अलावा डॉक्टर मोदी इन बुजुर्गों को हर महीने एक खास तरह की किट देते हैं। इस किट में नहाने और कपड़े धोने का साबुन, पेस्ट, तेल, खाखरा और दूसरा सामान होता है। डॉक्टर मोदी ऐसे बुर्जुगों के लिए भी टिफिन सेवा का इंतजाम करते हैं जिनकी आर्थिक हैसियत भले ही अच्छी हो, लेकिन वो खाना नहीं बना सकते। इसके लिए वो खाना बनाने वाले का इंतजाम करा देते हैं या फिर किसी टिफिन सर्विस वाले के साथ जोड़ देते हैं। इतना ही नहीं डॉक्टर मोदी जरूरमंद मरीजों की दवाई और इलाज का भी इंतजाम कराते हैं। इसके लिए उनके पास कुछ डोनर हैं जो उन मरीजों की दवाई का खर्चा उठाते हैं। इनके अलावा भयंदर के दो अस्पताल हैं जो डॉक्टर मोदी के बताये मरीजों का मुफ्त में इलाज करते हैं।इन 10 सालों में डॉक्टर मोदी की कोशिशों से कुछ बुजुर्गों की जिंदगी ही बदल गई है। डॉक्टर मोदी बताते हैं कि जब मैं पहली बार इन बुजुर्गों से मिला था तो उनकी हालत ऐसी थी कि डॉक्टर भी कहते थे कि ये 4-6 महीने से ज्यादा नहीं बचेंगे, लेकिन अच्छा खाना और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने के बाद आज ये पूरी तरह से स्वस्थ्य जिंदगी जी रहे हैं। सभी बुजुर्ग मुझे कहते हैं कि भगवान ने उन्हें बेटा दे दिया है। इस समय डॉक्टर मोदी के पास 89 ऐसे लोगों की सूची है जो कि टिफिन सेवा चाहते हैं। लेकिन उनके पास इतना फंड नहीं है कि वो इन लोगों तक भी ये सुविधा पहुंचा सकें।अपनी फंडिंग के बारे में डॉक्टर मोदी का कहना है कि शुरूआत में कुछ टिफिन उन्होने अपने खर्चे से तैयार करवाये। लेकिन धीरे धीरे लोग उनके साथ जुड़ते गये। साथ ही उन्होने अपने क्लिनिक में भी एक दानपात्र रखा हुआ है जहां पर लोग अपनी इच्छा के मुताबिक पैसे डालते हैं। इसके अलावा हर शनिवार और रविवार को डॉक्टर मोदी हिन्दी सीरियल और फिल्म में भी अभिनय करते हैं। यहां से भी उनको जो आमदनी होती है वो उसे इसी काम में लगा देते हैं।
डॉक्टर मोदी इन बुजुर्गों के लिए ‘बेटे का घर’ नाम से एक इमारत बनाना चाहते हैं। जहां पर इन बुजुर्गों को रहने के लिये छत, खाना, दवाई के साथ साथ दूसरी सुविधाएं मिल सकें। इसके लिए वो पिछले तीन सालों से काफी कोशिश कर रहे हैं लेकिन अपने इस काम में उनको अब तक सफलता नहीं मिली है। बावजूद डॉक्टर मोदी ने हार नहीं मानी है और वो लगातार इस काम में लगे हुए हैं।