अररिया, 4 अप्रैल। आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदेश प्रवक्ता चंद्र भूषण और पार्टी चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. पंकज कुमार ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर कहा है कि इस वक्त देश को दीए नहीं किट की जरूरत है। टीके के आविष्कार करने वाले शोधार्थियों की जरूरत है। थाली-ताली के बाद मोमबत्ती, दीया,टॉर्च या मोबाइल का फ्लैशलाइट जैसे अवैज्ञानिक और झूठे दिखावे या कर्मकांड की जरूरत नहीं है।
आप के प्रदेश प्रवक्ता चंद्र भूषण ने कहा कि देश को झूठ और वैज्ञानिक तौर-तरीकों की घुट्टी पिलाने की कतई जरूरत नहीं है। जरूरत है दिमाग की बत्ती जलाने की। वैज्ञानिकता पर विश्वास करने की और तार्किकता को बढ़ाने की। क्या इस अंधविश्वास की तुलना जमात के तर्कों से नहीं की जा सकती है? यह समाज में क्या रिफ्लेक्ट कर रहा है? हम विदेशों में अपनी छवि किस अंधविश्वासी कर्मकांडी की बना रहे?
आप प्रदेश चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. पंकज कुमार ने कहा कि थाली-ताली और दीए जलाने से समाज में सकारात्मकता का संचार या डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों का मनोबल नहीं बढ़ता बल्कि मनोबल तो डॉक्टरों या स्वास्थ्य कर्मियों का तब बढ़ता है जब उन्हें हम पीपीई ( पर्सनल प्रोटेक्शन इंस्ट्रूमेंट) , वेंटीलेटर जैसे किट की सुविधा उपलब्ध कराएंगे। जैसे सैनिकों को युद्ध लड़ने के लिए एके-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार देते हैं, उसी प्रकार डॉक्टरों, चिकित्सा कर्मियों को कोरोना से लड़ने के लिए आधारभूत संरचना तो उपलब्ध कराइए। उन्होंने डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए केंद्र से 5 करोड़ की राशि का ‘हेल्थ बीमा’ कराने की मांग की जिससे उनके परिवारों का मनोबल बढ़ सके।
बिहार की चिकित्सा व्यवस्था पर तंज कसते हुए डॉ पंकज ने कहा कि कोरोना को लेकर राज्य सरकार की तैयारी देश के अन्य राज्यों की तैयारी की तुलना में निचले पायदान पर है। पूरे राज्य के अस्पतालों को मिलाकर बमुश्किल 50 वेंटिलेटर भी यहां नहीं है। कोरोना से लड़ने के लिए पीपीई, एन.-95 मास्क, फ्लाई मास्क, आर.एन.ए. एट्रैक्शन किट की तो बात ही छोड़ दीजिए, आज बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था खुद वेंटिलेटर पर है, आईसीयू में है।
चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार और स्वास्थ्य कर्मियों को जबरन बिना किसी सुविधा के कोरोना महामारी से लड़ने के लिए धकेल रही है। नहीं जाने पर प्राथमिकी दर्ज करने जैसी धमकी दी जा रही है, जो अमानवीय ही नहीं, बल्कि घृणित कृत्य है। यह जानना जरूरी है कि आज देश में आवश्यक पीपीई के अभाव में प्रतिदिन एक डॉक्टर कोरोना से पीड़ित हो रहे हैं और एक डॉक्टर से 500 और पीड़ित हो रहे हैं। इस दशा में हम क्या ताली-थाली और दीए ही जलाते रहें।
उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि बिहार सहित पूरे देश में महामारी कोरोना का विस्तार आने वाले समय में कम होगा क्योंकि अब गर्मी आ रही है तो कोरोना वायरस का ट्रांसमिशन कम होगा। दूसरे, हम अधिकांश भारतीय शाकाहारी हैं और संतुलित आहार व मसाले का सेवन करते हैं, इसलिए हमारे शरीर की इम्यूनिटी विदेशियों के मुकाबले ज्यादा होती है।