सरकार के दमनात्मक नीति के विरोध में प्रखंड मुख्यालय में शिक्षक सपरिवार दिया धरना,
सरकार के दमनात्मक कार्रवाई के विरोध में बिहार के सभी 534 प्रखंड मुख्यालयों में गुरुवार को शिक्षक अपने परिवार तथा बच्चों के साथ धरना दिया। अररिया प्रखंड के शिक्षकों ने अपने सपरिवार के साथ बीआरसी अररिया के समक्ष धरना दिया। धरना का नेतृत्व प्रखंड अध्यक्ष वजहुल कमर ने किया। धरना में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश कोषाध्यक्ष प्रशांत कुमार शामिल हुए। धरना को संबोधित करते हुए प्रदेश कोषाध्यक्ष ने कहा कि हड़ताल शत् प्रतिशत सफल चल रहा है। हड़ताल इतना सफल है कि इसकी गुंज विधानसभा में रोज गुंज रही है। बुधवार को सदन में दिये माननीय मुख्यमंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षक अपना हिस्सा की राशि मांग रही है। किसी से खैरात नहीं मांग रही है। बिहार के बारह करोड़ जनता ये जानना चाहती है कि शिक्षक के पांच लाख मूल पद को क्यों समाप्त किया गया। शिक्षकों की सैलरी को काटकर शिक्षा बजट की राशि को बर्बाद करने वाली सरकार सदन में लम्बी-लम्बी बातें करती हैं। हर वर्ष मानव श्रंखला के नाम पर अरबों अरब रुपये पानी में बहाकर अपना चेहरा चमकाने वाले विकास की दुहाई दे रहे हैं। 2005 से शिक्षकों के मूल पद को मृत पद बनाकर शिक्षा बजट की राशि को बंदरबांट करने वाले ये क्यों नहीं सोची की बिहार के गरीब जनता के बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों को सम्मानजनक वेतन दें जिससे शिक्षक पत्नी बच्चों की देखभाल एवं माता-पिता की सेवा कर पायें। गरीब जनता के वोट पर सत्ता की कुर्सी पर बैठने वाले कभी गरीबों के बारे में नहीं सोची। आज भी गरीब विकास से कोसो दूर है। सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जो सरकार गरीबों को आज तक स्वच्छ पानी नहीं दे पाई है। वह क्या रोटी, कपड़ा और मकान का सपना पुरा करेंगी। उन्होंने आगे कहा कि सरकारी विद्यालयों के शिक्षक गरीब बच्चों को पढ़ाना चाहती है। मगर ये सरकार शिक्षकों को रोड पर खड़ा करवाकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का कार्य कर रही है।
जिला अध्यक्ष सह प्रदेश कोषाध्यक्ष प्रशांत कुमार ने सरकार को चेताते हुए वोट की तुलना से की उन्होंने कहा कि हर विधानसभा में शिक्षकों की संख्या दो हजार से तीन हजार के बीच है। शिक्षक परिवार का वोट हर विधानसभा में से बीस से तीस हजार है। हमें कोई कम आंकने की कोशिश ना करें। विधानसभा का 90 प्रतिशत सीटों पर हार-जीत का आंकड़ा दस से पन्द्रह हजार में होता है। इस बार सरकार शिक्षकों की मांगों को पूरा नहीं करती है तो बिहार के लाखों शिक्षक जात-पात और चाटूकारिता से ऊपर उठकर चुनाव में सरकार समर्थित उम्मीदवारों का जमानत जब्त कराकर नीतीश सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखायेंगे।
धरना में संयोजक अब्दुल कुद्दुस, अध्यक्ष मंडल सदस्य प्रशांत कुमार, आफताब फिरोज, सचिव मंडल सदस्य गंगा प्रसाद मुखिया, शहरेयार विभिन्न संघों के संघीय पदाधिकारियों में इमरान आलम, मगफूर आलम, आशिकुर्रहमान, शहजाद आलम, शम्स रेजा, अनुज कुमार, मनोज सादा, अफरोज आलम, दिवेन्दु, गोपाल पासवान, कमरुज्जमा, रंजीत कुमार, वजहुल कमर, अब्दुल रकीब, खगेंद्र भारती, राजीव रमण, जावेद आलम, धर्मेंद्र ठाकुर, इस्माइल, शाहजहां, तनसीफ आलम, शारदा झा, स्वर्ण सुमन, सुषमा कुमारी, मंजु कुमारी, कहकशां, नाहिदा, बीबी नर्गिस, प्रियंका, साईस्ता अंजुम, रेश्मा प्रवीन, कुमकुम कुमारी, कुमारी अनुपमा गुप्ता, विजय प्रकाश सिंह, डब्लू कुमार, रुपेश कुमार, शहबाज आलम, सत्यम कुमार आदि सैकड़ों शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित थे।