भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डा॰ राजेन्द्र प्रसाद के जन्म दिवस को कृषि शिक्षा दिवस के रुप में आयोजित विश्व की जनसंख्या बढ़ती हुई जनसंख्या हेतु संतुलित भोजन के साथ मिट्टी के स्वास्थ्य को टिकाउ बनाये रखना कृषि षिक्षा के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतीः श्री वैद्यनाथ यादव, जिला पदाधिकारी अररिया भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ में दिनांक 3 दिसम्बर, 2019 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डा॰ राजेन्द्र प्रसाद के जन्म दिवस को कृषि शिक्षा दिवस के रुप में आयोजित किया गया इस दिवस के आयोजन का निर्णय भारत सरकार कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने लिया एवं देश के सभी कृषि संस्थानों, विश्वविद्यालयो ंको निर्देशित किया कि प्रत्येक वर्ष 03 दिसम्बर को कृषि शिक्षा दिवस के रूप में आयोजित किया जायेगा। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि श्री वैद्यनाथ यादव, जिला पदाधिकारी अररिया, डा॰ पी॰ के॰ मजूमदार, अवकाष प्राप्त मुख्य वैज्ञानिक, बिहार कृषि महाविद्यालय सबौर, प्राचार्य डा॰ पारस नाथ एवं राजा पृथ्वी चंद उच्च विद्यालय पूर्णियाँ सिटि, पूर्णियाँ के षिक्षकों एवं महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भारत रत्न डा॰ राजेन्द्र प्रसाद के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित करके उन्हे श्रद्धा सुमन एवं नमन किया। इसके पश्चात स्नातक प्रथम वर्ष के छात्राओं द्वारा स्वागत गान प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन सभी आगत अथितियों ने संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्जवलित करके किया। प्राचार्य ने सभी अतिथियों का पुष्प गुच्छ, साॅल एवं महाविद्यालय का प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। अपने स्वागत भाषण में प्राचार्य डा॰ नाथ ने बताया कि वर्तमान समय में कृषि के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती विश्व की बढ़ती हुई आबादी को सन्तुलित भोजन उपलब्ध कराना है। इस समस्या के समाधान के लिए कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि के छात्र/छात्राओं एवं किसानों को लगातार प्रयास करने की आवष्यकता है। मुख्य अतिथि श्री वैद्यनाथ यादव, जिला पदाधिकारी अररिया द्वारा अपने सम्बोधन में देश के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डा॰ राजेन्द्र प्रसाद के जीवन वृŸा पर चर्चा करते हुए बताया कि उनका जन्म 3 दिसम्बर 1884 को ग्राम जीरादेई जिला सारन (अब सीवान) बिहार में हुआ था। उनकी प्राराम्भिक शिक्षा छपरा (बिहार) एवं उच्च शिक्षा कलकŸाा के प्रेसीडेन्सी कालेज में हुई थी। कानून की पढ़ायी करने के बाद डा॰ राजेन्द्र प्रसाद ने वर्ष 1911 में कलकŸाा में वकालत शुरू की एवं 1916 में पटना उच्च न्यायालय की स्थापना होने के बाद डा॰ राजेन्द्र प्रसाद वकालत करने के लिए पटना आ गये। कृषि शिक्षा दिवस पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि भारत रत्न डा॰ राजेन्द्र प्रसाद जी के जन्म दिवस को कृषि षिक्षा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय भारत सरकार ने लिया उसका मुख्य कारण पं॰ जवाहरलाल नेहरू की अन्तरिक सरकार में डा॰ राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम खाद्य एवं कृषि मंत्री थे।
इसके बाद वर्ष 1950 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने एवं कुल दो बार राष्ट्रपति के पद को सुशोभित किया। डा॰ राजेन्द्र प्रसाद हिन्दी भाषा के अलावे संस्कृत, उर्दू, फारसी एवं अंग्रेजी भाषा के भी ज्ञाता थे। डा॰ राजेन्द्र प्रसाद अपने जीवन काल में हिन्दी एवं अंग्रेजी की कई किताबों का लेखन भी किया। भारत के ऐसे नागरिक एवं पुरोधा जिनकी सादगी, सेवा त्याग, देश भक्ति और स्वतन्त्रता आन्दोलन में उनके विशेष योगदान को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1962 में देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था। बिहार के लिए यह गौरव की बात है कि राष्ट्र की अंतरिम सरकार के कृषि मंत्री एवं देष का प्रथम राष्ट्रपति भारत को बिहार ने दिया। देष की 130 करोड से अधिक जनसंख्या के खाद्यान्न की आपूर्ति के साथ साथ उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी कृषि पर है, इसलिए कृषि षिक्षा को बढ़ावा देना बहुत ही आवष्यक है, क्योंकि कृषकों की आय में वृद्धि करने के लिए कृषि उत्पादन में वृद्धि करने की आवष्यकता है, तभी जाकर किसानों की आय दोगुनी हो सकती है। वर्ष 2050 में विश्व की जनसंख्या 9.6 बिलियन हो जायेगी इस बढ़ी हुई संपूर्ण आबादी के लिए करीब 60ः खाद्यान उत्पादन वर्ष 2050 तक बढाने की आवश्यकता होगी। कृषि के छात्रों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं भी काषी हिन्दु विष्वविद्यालय वाराणसी से कृषि की पढ़ाई