नीतीश को पितातुल्य बताकर पहले भावुक हुए प्रशांत किशोर, फिर खोली विकास की पोल, कहा- गांधी और गोडसे दोनों साथ नहीं चल सकते कभी नीतीश कुमार के चाणक्य कहे जानेवाले प्रशांत किशोर ने मंगलवार को नीतीश के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। कल तक नीतीश कुमार को देश का सबसे अव्वल सीएम मानने वाले पीके उन्हें सबसे फिसड्डी और बीजेपी के पिछलग्गू बता रहे हैं। पितातुल्य बताकर बोला हमला जदयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर ने आज पहली बार प्रेस कांफ्रेंस की। अपने प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत में पीके ने सीएम नीतीश कुमार को पिता तुल्य बताया, लेकिन बाद में उन्होंने नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोल उनके विकास की पोल भी खोली। पीके ने नीतीश कुमार पर आरोप लगाया कि वे सत्ता में रहने के लिए गांधी के विचारों को छोड़ गोडसे को मानने वालों के पिछलग्गू बन गए हैं नीतीश कुमार के लिए हमेशा सम्मान
प्रशांत किशोर ने कहा कि 2014 नवंबर में पहली बार मुझे नीतीश कुमार मिले थे। नीतीश कुमार ने मुझे अब तक अपने बेटा जैसा रखा है। मैंने भी कई मायनो में उन्हें पिता तुल्य ही माना है। नीतीश कुमार ने मुझे अपनी पार्टी से बाहर निकाल दिया है। मैं नीतीश कुमार के फैसले को सहृदय स्वीकार करता हूं। मेरे मन मे नीतीश कुमार के लिए हमेशा सम्मान रहेगा। मेरा नीतीश कुमार से कुछ मुद्दों पर मतभेद रहा है। नीतीश कुमार कहा करते थे कि वे गांधी, लोहिया जयप्रकाश के विचारों को मानते हैं। लेकिन, आज वे फिर गोडसे को मनाने वालो लोगों के साथ हैं। जब गांधी की विचारधारा के साथ चल रहे तो गोडसे से कैसा समझौता।
दोनों साथ नहीं चल सकते
प्रशांत किशोर यहीं नही रुके, उन्होंने कहा कि कोई गुजरात का नेता नीतीश कुमार को 2020 में बिहार का नेता बनाने की बात कहे यह ठीक बात नहीं है। यह कैसे संभव है कि कोई दूसरा आदमी नीतीश कुमार के बारे में फैसला करे। 2004 से अभी तक नीतीश कुमार के ग्राफ को देखें तो लोकप्रियता में काफी गिरवाट आयी है। दूसरी विवाद की वजह गठबंधन में पोजिशनिंग को लेकर है। हमें 2014 के नीतीश कुमार ज्यादा पंसद हैं, जब उनके पास मात्र 2 एमपी थे। आज 16 एमपी के बाद भी वे सिर्फ धूल धूसरित चेहरा हैं। राजनीति में कंप्रोमाइज करना पड़ता है। यदि बिहार का विकास हो रहा हो तो झुकने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन नीतीश कुमार बताएं कि क्या बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिला। पीयू को सेंट्रल यूनिवरसिटी का दर्जा मिला।
बिहार को सशक्त नेतृत्व की जरूरत
प्रशांत किशोर यह मानते हैं कि बिहार में नीतीश कुमार के साशन काल मे विकास हुआ है, लेकिन विकास की गति और आयाम ऐसे नहीं हैं जिससे लगे कि बिहार में आमूलचूल परिवर्तन भी हुआ हो। बिहार विकास के मानकों पर आज भी दूसरे राज्यों से काफी पीछे है। बिहार को सशक्त नेतृत्व की जरूरत है, पिछलग्गू बनने से बिहार का विकास संभव नहीं है।
कब तक दिखाएंगे लालू राज का भय
अब लोग थक गए हैं। लालू राज में ऐसा था, हमने ऐसा कर दिया, कितने दिन तक कहिएगा। लालू राज में लोग पांच बजे ही घरों में दुबक जाते थे, हमारे राज में 12 बजे भी सड़को ंपर चलते हैं। केवल सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा के साथ रहना ठीक नहीं है। यदि विकास के 20 पैमानों पर देखेंगे तो 2005 में जो स्थिति थी आज भी वैसी ही है। नीतीश कुमार ने बिहार के बच्चों को सुविधा दी, लेकिन अच्छी पढ़ाई नहीं दे सके। बच्चों को साइकिल और पोशाक बांटी गयी, लेकिन अच्छी शिक्षा नहीं। बिहार में घर-घर तक बिजली ले जाने के लिए मुख्यमंत्री का साधुवाद, लेकिन बिहार बिजली उपभोग के मामले में देश में आज भी सबसे पीछे है। सड़क बनी, लेकिन मोटरगाड़ियां बिहार में नहीं हैं। आज बिहार में ही सबसे ज्यादा गरीब लोग रहते हैं। बिहार का बजट सामान्य विकास की प्रक्रिया है। प्रति व्यक्ति आय में 2005 में 22वें स्थान पर था, आज भी वहीं है। शहरीकरण के मामले में भी बिहार 2005 जैसी स्थिति में है।
2 मार्च से ‘बात बिहार की’ शुरूआत
नीतीश कुमार पर हमले के साथ-साथ प्रशांत किशोर ने अपनी आगामी रणनीति भी बताई। कहा कि वे 2 मार्च से बात बिहार की कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रहे हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से बिहार के युवाओं को जोड़ेंगे जो बिहार के विकास के लिए बात कर सकें। साथ ही प्रशांत किशोर ने आज यह भी साफ कर दिया कि वे बिहार में किसी दल के लिए काम नहीं करेंगे और अगर उनके इस मुहिम से नीतीश कुमार जुड़ना चाहते हैं तो उनका स्वागत है।