Tuesday, March 19, 2024
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बाल श्रम उन्मूलन दिवस पर ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

विश्व बाल श्रम उन्मूलन दिवस के अवसर पर बाल श्रम उन्मूलन विषय पर आॅनलाईन जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन युवा छात्र-छात्राओं को जागरुक कर बिहार में व्याप्त बालश्रम समस्या रुपी कलंक को दूर कर बिहार को बालश्रम मुक्त राज्य बनाना: प्राचार्य डा॰ पारस नाथ दिनांक 12 जून, 2021 को भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ में महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ॰ पंकज कुमार यादव एवं  एन0 सी0 सी0 इकाई के पदाधिकारी डाॅ0 अनिल कुमार की देखरेख में की देखरेख में विश्व बाल श्रम उन्मूलन दिवस के अवसर पर बाल श्रम उन्मूलन विषय पर आॅनलाईन जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन प्राचार्य डा॰ पारस नाथ की अध्यक्षता में किया गया। इस कार्यक्रम में प्राचार्य डा॰ पारस नाथ ने अपने सम्बोधन में बताया कि विश्व बाल श्रम उन्मूलन दिवस का आयोजन वर्ष 2002 से पूरे विश्व में बाल श्रमिकों की समस्याओं के समाधान हेतु पूरे विश्व में बाल श्रम को रोकने के लिए जागरुकता एवं सक्रियता हेतु किया जा रहा है। बिहार सरकार द्वारा इस परिप्रेक्ष्य में बाल श्रम उन्मूलन विमुक्त एवं पुर्नवास-राज्य कार्य योजना को मंजूरी दी गई यह मंत्री परिषद् द्वारा जून 2009 में पारित हुआ। बालश्रम उन्मूलन विमुक्त एवं पुर्नवास का उद्धेश्य राज्य में व्याप्त बालश्रम समस्या रुपी कलंक को दूर कर बिहार को बालश्रम मुक्त राज्य बनाना है। इसके लिए बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग द्वारा राज्य के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के माध्यम से युवा छात्र-छात्राओं को बाल श्रम विषय पर सेमीनार, वाद विवाद प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता एवं चित्रकला प्रतियोगिता आदि कार्यक्रमों के आयोजन करके छात्र-छात्राओं को जागरुक करने का निर्देश प्राप्त है। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि बाल श्रम से तात्पर्य कोई व्यक्ति 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कार्य करवाता है तो उसे बालश्रम कीे श्रेणी में माना जाता है। उन्होंने बताया कि भारत की संविधान के अनुच्छेद 23 के अन्तर्गत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का खतरनाक उद्योगो ंमं रोजगार पर प्रतिबंध लगाता हैं। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1986 में बालश्रम निषेध अधिनियम पारित किया गया तथा वर्ष 1987 में राष्ट्रीय बालश्रम नीति बनाई गई। जिसके अन्र्तगत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना अपराध की श्रेणी में माना गया। बालश्रम के अन्र्तगत मुख्य रुप से मिठाई की दुकान पर काम करना, सड़कों पर सामान बेचना, पटाखों के कारखानांे में काम करना, लघुव्यवसाय (खाने पीने का सामान बेचना), माता पिता के व्यवसाय में मदद, कृषि कार्यों में मजदूरी, उत्खनन, नशीली दवाओं की तस्करी, वेश्यावृति, जूता पालिश करना, बक्सा बनाना, साफ सफाई का कार्य जिनमें 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कार्य लिया जाता है, बालश्रम अपराध की श्रेणी में आता है। यदि इस प्रकार की जानकारी मिलती है कि बच्चों से काम कराया जा रहा है, तो इसकी सूचना बालश्रम विभाग के सम्बन्धित पदाधिकारी को अवश्य प्रदान करें साथ ही साथ बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग पटना में भी सूचना प्रदान कर समाज में बालश्रम की समस्या का उन्मूलन करने का कार्य करने में सहयोग करे। वर्तमान युग प्रतियोगिता का युग है, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमारे आपके सामने अनेक प्रतियोगी उपस्थित रहते हैं, सफल होने के लिए हमें अपना कार्य केवल भली प्रकार ही नहीं करना है बल्कि इस प्रकार करना होता है कि हम अन्य प्रतियोगियों की अपेक्षा अधिक श्रेष्ठ कार्य करें तभी हम प्रतियोगिता में सफल हो सकते हैं। अंत में प्राचार्य ने उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं को बताया कि कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं। सफलता उसे ही मिलती है जो सतत एवं नियमित रूप से अपने उद्धेश्य की प्राप्ति हेतु कठिन परिश्रम करता है। इस अवसर पर महाविद्यालय के अन्य वैज्ञानिकों में डाॅ0 पंकज कुमार यादव, डाॅ0 अनिल कुमार, डा॰ रवि केसरी, डा॰ रुबि

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