प्रधानमंत्री सुंदरी मठ न्यास समिति के सदस्यों के साथ बात कर मंदिर प्रबंधन के साथ मंदिर की पौराणिक और गौरवशाली इतिहास को लेकर चर्चा करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को केदारनाथ धाम मंदिर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुंदरनाथ धाम मंदिर से जुड़ेंगे। प्रधानमंत्री सुंदरी मठ न्यास समिति के सदस्यों के साथ बात कर मंदिर प्रबंधन के साथ मंदिर की पौराणिक और गौरवशाली इतिहास को लेकर चर्चा करेंगे। न्यास समिति के अध्यक्ष एवं सिकटी के भाजपा विधायक विजय कुमार मंडल ने बताया कि प्रधानमंत्री के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली गई है।
न्यास समिति के 11 सदस्य कमेटी के साथ मुख्य अतिथि के तौर पर उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, सांसद प्रदीप कुमार सिंह, विधान पार्षद डॉ. दिलीप जायसवाल, विधायक विद्यासागर केसरी, विधायक जयप्रकाश यादव, विधायक विजय खेमका सहित पूर्णिया प्रमंडल के भाजपा विधायक इसमें शिरकत करेंगे।
वर्ष 2020 में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान फारबिसगंज हवाई अड्डा पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुंदर नाथ धाम मंदिर की चर्चा की थी। इसके अलावा पिछले महाशिव रात्रि के मौके पर डिप्टी सीएम तारकेश्वर प्रसाद सुंदरनाथ मंदिर आ चुके हैं। हर साल सावन माह और महाशिव रात्रि के मौके पर जलाभिषेक और पूजा-अर्चना के लिए लाखों की संख्या में भारत और नेपाल के शिव भक्त पहुंचते हैं।
महाभारत काल से जुड़ा है सुंदरनाथ धाम का इतिहास
सुन्दरनाथ धाम (शिव-पार्वती) मंदिर अररिया के कुर्साकांटा प्रखंड के डुमरिया पंचायत में है। मान्यता है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पड़ोसी देश नेपाल के विराटनगर में राजा विराट के यहां पाण्डव रहते थे। वहां से माता कुंती के साथ पांचों पांडव ऐतिहासिक सुन्दरनाथ धाम में भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर भगवान शिव और माता पार्वती की जलाभिषेक एवं पूजा किए थे। महाबली भीम ऐरावत नामक हाथी से 108 कमल पुष्प लेकर आए थे, जिससे माता कुंती और पांडवों ने पूजा की थी।
साल 1930 तक इस धर्मस्थल पर नागा बाबाओं का कब्जा था। स्थानीय लोगों ने नागा बाबाओं से इस स्थल को मुक्त कराया। साल 1935 में पूर्णिया जिले के गढ़बनैली के राजा स्व. कुलानंद सिंह ने यहां मंदिर निर्माण कराया। फिर वर्ष 2005-06 से सिकटी विधायक विजय कुमार मंडल की अगुआई में 11 लोगों ने सार्वजनिक सहयोग से इस धर्मस्थल का निर्माण कार्य आरंभ कराया। अभी यह धर्मस्थल बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद, बिहार, पटना के अधीन है।
प्रतिवर्ष यहां 15 दिवसीय महाशिव रात्रि और सावन पूर्णिमा के अवसर पर लगभग 8 से 10 लाख लोग जलाभिषेक करते हैं। हर वर्ष सैकड़ों विवाह, एक लाख से अधिक मुंडन संस्कार होता है। सैकड़ों की संख्या में धार्मिक अनुष्ठान होता है
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